Monday, December 28, 2015

मधेसका संघर्ष भारत का अपना संघर्ष है

माओ का रास्ता हिंसा का, गांधी का अहिंसा का। लेकिन दोनों ने अपना अपना काम किया। माओ ने चीन को आजाद किया। जापानी उपनिवेश खत्म किया। अपने ही देश से राजशाही हटाई उनसे पहले आए लोग ने। भुमि आजाद हुवा। भारत भी चीन भी। लेकिन काम अधुरा रह गया। भारत का भी और चीन का भी। Because, China is not an island, India is not an island, China is not a planet on its own, India is not a planet on its own. अपना भुमि आजाद किया लेकिन विश्व राजनीति में अभी तक दोनों आजाद नहीं हुवे। भारत को देखो, सब कुछ है, दुनिया का तीसरा बड़ा अर्थतंत्र, सेना है, जनसंख्या है, सब है, फिर भी वीटो पावर वीटो पावर करना पड़ रहा है।

चीन के ही पड़ोस में मलेशिया। जब ली कुऑन यु मलेशिया के संसद में खड़ा हुवा तो उसने सिर्फ सिंगापुर के अपने जैसे चिनिया के लिए बात नहीं की। मलेशिया भर के लोगों के लिए बात की, तरक्की की बात की, आर्थिक विकास की बात की। लेकिन असर हुवा उल्टा। सुनने वाले मले लोगों सत्ता सम्हाले लोगों को लगा अरे ये तो प्रधान मंत्री हो सकता है इस को हर संभव तरिके से रोको। ये देश मले का है चिनिया का नहीं। अगर चीन वास्तव में आजाद हुवा होता तो ली कुऑन यु को वो दिन देखने न पड़ते। जो देखना पड़ा। चीन के पास में छोटा सा देश। फिर भी कह रहा है चिनिया को दुसरे दर्जे का नागरिक बन के रहना होगा। ली कुऑन यु ने अपने इच्छा के विरुद्ध भरे दिल से देश तोड़ा। आज मलेशिया में प्रति व्यक्ति आय है ७५०० डॉलर और सिंगापुर में है ३८,००० डॉलर। सारे मलेशिया का प्रति व्यक्ति आय २५,००० डॉलर हो सकता था अभी। तो अपने self-interest के विरुद्ध मले शासको ने ली कुऑन यु को दफा किया। 

चिनिया को समानता का अनुभूति करने के लिए सिंगापुर को स्वतंत्र करना पड़ा। ली कुऑन यु ने जो काम किया वो देंग स्याओ पिंग ने देखा और उससे सिखा। और आज चीनको देखो। 

मधेस आर्थिक रूपसे भारत से आगे नहीं है, उदाहरण से सिखाने लायक नहीं है। (E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy) (आर्थिक क्रांतिका पाँच पाण्डव: सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, (उद्योगव्यापार) सुलभता) लेकिन भारत के जनता और नेता इस भ्रम में ना रहें कि ये मधेस का अपना अलग संघर्ष है। महात्मा गांधी की अधुरी लड़ाई मधेस लड़ रहा है। गांधी के काम को पुरा कर रहा है। भारत की भुमि तो आजाद  हो गयी १९४७ में लेकिन विश्व मंच पर अभी तक भारत को जो न्यायपूर्ण जगह मिलने चाहिए वो मिला नहीं। इसिलिए मधेसकी लड़ाई भारतकी लड़ाई है। भारतकी अपनी लड़ाई है। 

ली कुऑन यु का अनुभव मेरा खुद अपना अनुभव रहा है। नेपालका नंबर वन स्कुल बुढानीलकण्ठ स्कुल, अँग्रेजो ने बनाया गोरखा सैनिक सप्लाई करने वालों को धन्यवाद देने के लिए। देश भर entrance exam होते थे। तो दो और चुने जाओ। चुना गया। चार क्लास से पढाई शुरू। मैं क्लास में फर्स्ट। चार क्लास से १० तक लगातार। पढाई और लीडरशिप में क्लास में नंबर वन रहा। जैसे कि पाँच क्लास में हाउस कैप्टेन हुवा, १० में भी। मिडिल स्कुल में बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला एक। अमिताभ को भी मिला नैनीताल में मिडिल स्कुल में। मिडिल स्कुल में ही सारे स्कुल का मेन्टल अरिथमेटिक चैंपियन भी बना। स्टेज पर रख देते हैं। सारा स्कुल बैठा हुवा है। और question पर question कर रहे हैं। Arithmetic. राजा जनक के दरबार में भी शायद वैसा हुवा करता था। 

तो उस समय मेरे में कोई न मधेसी consciousness थी, न कोई भारतीय consciousness, यहाँ तक की कोई खास नेपाली consciousness भी नहीं। गांधी के बारे में बड़े चाव से पढता था। लेकिन था कि ये तो इतिहास है। जब समय बुरे थे। लेकिन वो बित गयी। बित गयी सो बात गयी। सिर्फ दिमाग के राजमार्ग पर मैं दौड़ रहा था। The mind is one with the universe, there is no self. शायद मैं बुद्धिस्ट उसी वक्त हो चुका था। शायद मैं पैदायशी बुद्धिस्ट हुँ। लेकिन औपचारिक रूप से हुवा अमरिका आने के बाद। क्रिस्चियन लोगो ने तंग किया। Save the soul, save the soul कर रहे थे। उनके कहने से पहले मेरे को बाइबल क्रिसमस सब मालुम था। लेकिन मैंने सोंचा मैं हिन्दु हुँ इसलिए कि मेरा हिन्दु परिवार में जन्म हुवा। अगर खुद मेरे को एक धर्म अपनाना पड़े तो वो धर्म क्या होगा? जवाब आजीवन सामने था। कभी मेरे को ये हिचक हुई ही नहीं थी कि बुद्ध के ज्ञान को अध्ययन करने के लिए कोई धर्म परिवर्तन करने की जरुरत है। लेकिन मैं उसके बाद अपने आपको बुद्धिस्ट कहने लगा। होली दिवाली ये सब कुछ छोड़ा नहीं। 

विक्रम संवत २०४२ को हर्क गुरुंग का रिपोर्ट आया जिसने मधेस आंदोलन की आधुनिक शुरुवात कर दी। उस रिपोर्ट के बारे में मेरे को आगे आठ साल मालुम नहीं हुवा। कहने वाले कहते हैं उस का कारक ही व्यक्तिगत मैं हुँ। २०४६ में मैं दशवी में गया। मेरे से दो साल सीनियर एक विश्व लिम्बु था, जनजाति, बाद में ऑक्सफ़ोर्ड गया, तीन साल जुनियर एक मधुसुदन सारडा, मारवाड़ी, बन्दा अभी दिल्ली में रहता है, उससे पहले MIT गया, तो हम तीन नेपाल के नंबर वन स्कुल में प्रत्येक साल अपने अपने क्लास में फर्स्ट होते थे। लेकिन तीनो में कोई भी बोर्ड फर्स्ट नहीं हुवा। नेपाल में १० वी में सारे देश के विद्यार्थी एक ही परीक्षा देते हैं। बोर्ड फर्स्ट का मतलब आप सारे देश में फर्स्ट हुवे। लेकिन विश्व और मधु सिर्फ पढाई में नंबर वन। उसी स्कुल से एक मधेसी मेरे से छे साल सीनियर बोर्ड फर्स्ट हुवा था। लेकिन वो हार्मलेस था। सिर्फ पढाई से मतलब। बोर्ड फर्स्ट हुवा, प्लान में गया, डाक्टर बना, किसी को दिक्कत नहीं की। किसीका पावर चैलेंज नहीं किया। पावर तो मैंने भी किसी का चैलेंज नहीं किया। मेरे को  १० क्लास में हाउस कैप्टेन बनाया। इतना अच्छा काम किया उस स्कुल के इतिहास में किसी हाउस कैप्टेन ने ना की। टीचर खुश के अलावे क्या हो सकते हैं?

विक्रम संवत २०४२ को मैं सिर्फ फर्स्ट नहीं हुवा। जितने विषय थे  सब के सब में क्लास में सबसे ज्यादा अंक। मधेसियो माफ़ करना। तभी कुछ पता ही ना चला।

Long story short, they destroyed the final three and a half years of my high school experience because I started looking too much like a future Prime Minister. पढाई १३ क्लास तक थी। कैंब्रिज का A Level

मेरा अभी मधेस आंदोलन में digital activism चल रहा है। लेकिन मेरे आगे का रास्ता है tech entrepreneurship के रास्ते का। मधेस भी भारत भी उस रास्ते पहुचेंगे। (नेपाल, बिहार र डिजिटल)

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प्रधान मंत्री चुनाव जितने के बाद मोदी ने कहा काश हमें मौका मिला होता आजादी आंदोलन के हिस्सा होने का। लो मिल गया। मधेस में जो हो रहा है वो आजादी आंदोलन ही है। गांधी का अधुरा काम हम मधेसी पुरा कर रहे हैं। आ जाओ।

न्यु यॉर्क में मैं ओबामा का पहला फुल टाइम वालंटियर। वो एक अलग कहानी है। 



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