Saturday, December 19, 2015

E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy


१९९० में भारत और चीन एक ही जगह थे प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से। बल्कि भारत थोड़ा आगे था। और भारत का रेल सब जगह था। चीन के पास न वैसा रेल न रोड। २०-२५ साल में देखो। चीन अमेरिका से बड़ा हो गया। हालांकि प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से चीन को अभी अमेरिका का हाथ पकड़ने में समय लगेगा। इसी लिए मैं कहता आया हुँ चीन को डबल डिजिट ग्रोथ का लक्ष्य कायम रखना चाहिए। तो चीन ने जो किया वो डबल डिजिट ग्रोथ रेट के बल पर किया। भारत १५% ग्रोथ रेट दे सके तो १५-२० साल में चीन अमेरिका दोनों का हाथ पकड़ ले।

Barack Obama: George Washington
आर्थिक क्रांतिका पाँच पाण्डव: सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, (उद्योगव्यापार) सुलभता
सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, बिजनेस के लिए आधार

अभी ग्लोबल वार्मिंग के बारे में ऐसे बात किया जा रहा है जैसे एक समय में Y2K के बारे में किया जाता था। नए मिलेनियम के शुरू होते ही सारे कम्प्यूटर काम करना बंद कर देंगे। इस के दो चार पक्ष हैं। एक, सही बात है कि कार्बन एमिशन इसी तरह होता रहा और दुनिया का तापक्रम औसत दो डिग्री और बढ़ गया तो विश्व का weather pattern कुछ इस किस्म से बदल सकता है कि मानव सभ्यता ही ख़त्म  जाए। यानि कि अणु युद्ध से भी बड़ा डिजास्टर।

तो पहला काम करो एक विश्व सरकार बनाओ। ये कोई एक सरकार तो कुछ कर सक्ने के स्थिति में है नहीं। दुसरा काम करो प्रत्येक देश अपने अपने डिफेंस बजेट का आधा आधा एक जगह लाओ और उससे क्लीन एनर्जी Research, Development, Production करो। मोदी ने एक कंपनी से बात किया है सोलर से १०० गीगावाट बिजली पैदा करने के लिए। १०० हो सकता है तो १,००० या १०,००० क्यों नहीं हो सकता? सब मिल के पूँजी लगाओ ताकि अमिताभ बच्चन का काला पत्थर मूवी बच्चे देखे तो अजीब लगे, कि अमिताभ इस मूवी में किस चीज की खोदाई कर रहे हैं?

दुसरा पक्ष है हवा का। किसी वैज्ञानिक कि जरुरत नहीं पड़ती। खुद मालुम हो जाता है हवा गन्दा है साँस लेने में दिक्कत हो रही है। भोजन से ज्यादा जरुरी पानी (मैं ये नहीं कह रहा आप खाना खाना बंद कर दो, अब पानी पी के ही काम चला लो) और पानी से ज्यादा जरुरी हवा। तो ऐसा विकास जो हवा को ही गन्दा कर दे वो विकास ही नहीं। आप को मोदी कहेंगे तुम्हारा साल का आम्दानी ३,००० डॉलर से ३०,००० कर देते हैं लेकिन कल से भोजन बंद, तो आप क्या कहेंगे? आइन्दा कभी वोट माँगने मत आना। न जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं। तो स्वच्छ हवा तो चाहिए।

तीसरा पक्ष है रेसिस्म का। जैसे प्रेत एक शरीर से दूसरे शरीर में चला जाता है तो कभी कभी लगता है कोलोनाइजेशन का प्रेत ब्रिटेन से अमेरिका चला गया, कुछ गोरे लोग हैं जो अमेरिका यूरोप जैसे देशों में सरकारी यंत्र में है, वो नहीं चाहते चीन और भारत आगे बढे। तुम लोग विकास मत करो, विकास करो तो दुनिया खत्म

India: Solar Is The Cure

तो भारत को आर्थिक विकास करना होगा। लेकिन जितना समय अमेरिका ने लिया, बेलायत ने लिया, या चीन ने लिया उससे कम समय में, और बगैर दुनिया के weather pattern को तहसनहस किए। यानि कि ग्रोथ रेट को १५% से उपर ले जाना और वहाँ पर लगातार ३० साल कायम रखना। तो उसके लिए कुछ ऐसे रास्ते ढुंढने होंगे जिस रास्ते से न ५% वाला बेलायत अमेरिका गए और न १०% वाला चीन।


नंबर एक बात है शिक्षा। चीन सिर्फ ये एक काम कर ले तो फिर से १०% पर शायद पहुँच जाए। कुछ पुराने विचार हैं शिक्षा के बारे में जिन्हे चैलेंज करना होगा।

एक विचार: सिर्फ बचपन में पढाई लिखाई शुरू की जा सकती है। आप का उम्र है २५ या ३५ या ४५ या ५५ और आप हैं जिसको नेपाली में कहते हैं कालो अक्षर भैंसी बराबर तो too late, ट्रेन छुट गयी। ये बहुत ही अवैज्ञानिक विचार है। शरीर में एक अंग है दिमाग जो अंतिम साँस तक दुरुस्त रहती है। बाँकी शरीर भी ठीक से रखो तो दुरुस्त ही रहती हैं। व्यायाम करते रहो तो शरीर ४० साल के उम्र में वही शरीर ८० साल के उम्र में। तो लोग व्यायाम नहीं करते हैं, टीवी देखते हैं। ये Lifelong Education का जमाना है। यानि कि आप पढाई किसी भी उम्र में शुरू कर सकते हैं, और आप को जिंदगी भर करते रहना है। दुसरा विचार: पढाई होता है स्कुल में। यानि की बिल्डिंग। एक घर। जरुरी नहीं। तीसरा विचार: शिक्षक चाहिए। जरुरी नहीं। Per Cubic Millimeter brain matter में आप कितना knowledge कोच कोच के भर सकते हैं? FM Technology और Universal Wireless Broadband के आधार पर भारत के भूभाग के प्रत्येक इंच में स्कुल और कॉलेज बनाए जा सकते हैं।

नंबर एक कुरा शिक्षा हो


नंबर दो बात है Entrepreneurship ---- शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का इमेज रहा है। एक विरासत है। बिजनेस व्यापार में वैसा इमेज बनाए हैं गुजराती। कहने को कहा जाता है देखो भारतीय सब जगह पहुंचे हैं, अफ्रिका से अमेरिका सब जगह। लेकिन वो अधिकांश गुजराती पहुंचे हैं। बिजनेस करते करते। यानि कि विश्व शांति में Entrepreneurship की अहं भुमिका हो सकती है। दो देश ढेर सारा व्यापार कर रहे हैं तो वो शायद युद्ध नहीं करेंगे। इस क्षेत्र में भी कुछ विचारों को चैलेंज करना होगा। एक विचार: बैंक का बिल्डिंग होता है। कोई जरुरी नहीं। दुसरा विचार: सिर्फ पैसे वाले या जिनके पास जमीन हो वो बिजनेस शुरू कर सकते हैं। यानि कि लोन के लिए कोलैटरल चाहिए। कोई जरुरी नहीं। तीसरा विचार: Ecommerce के लिए न कंप्यूटर तो कमसेकम स्मार्टफोन न स्मार्टफोन तो कमसेकम एक मोबाइल फ़ोन चाहिए। कोई जरुरी नहीं। चौथा विचार: देश में, समाज में, राज्य में पूँजी की कमी है। गलत। पैसा १००% डिजिटल हो तो कमाल हो जाती है। कागज का नोट हो तो वो या आपके पास है या मेरे पास। आप के पास है तो मेरे पास नहीं। मेरे पास है तो आपके पास नहीं। लेकिन पैसा डिजिटल हो तो वैसा नहीं होता। वही दश का नोट लगभग एक साथ हजार आदमी के हाथ में हो सकता है। Not at the exact same time, but almost at the same time.



नंबर तीन बात है Energy. जमीन पर न्युक्लीअर पावर प्लांट लगाने की कोई जरुरत नहीं। भगवान ने आकाश में एक लगा दिया है, वो sufficient है। इस गोटी को भारत ठीक से खेले तो १५ क्या २० भी कर ले। राजस्थान एक अपने ही स्टाइल का सऊदी अरब है।

India: Solar Is The Cure


तो ये बात मिथिला में बहुत पहले से मालुम है।


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