Monday, December 28, 2015

मधेसका संघर्ष भारत का अपना संघर्ष है

माओ का रास्ता हिंसा का, गांधी का अहिंसा का। लेकिन दोनों ने अपना अपना काम किया। माओ ने चीन को आजाद किया। जापानी उपनिवेश खत्म किया। अपने ही देश से राजशाही हटाई उनसे पहले आए लोग ने। भुमि आजाद हुवा। भारत भी चीन भी। लेकिन काम अधुरा रह गया। भारत का भी और चीन का भी। Because, China is not an island, India is not an island, China is not a planet on its own, India is not a planet on its own. अपना भुमि आजाद किया लेकिन विश्व राजनीति में अभी तक दोनों आजाद नहीं हुवे। भारत को देखो, सब कुछ है, दुनिया का तीसरा बड़ा अर्थतंत्र, सेना है, जनसंख्या है, सब है, फिर भी वीटो पावर वीटो पावर करना पड़ रहा है।

चीन के ही पड़ोस में मलेशिया। जब ली कुऑन यु मलेशिया के संसद में खड़ा हुवा तो उसने सिर्फ सिंगापुर के अपने जैसे चिनिया के लिए बात नहीं की। मलेशिया भर के लोगों के लिए बात की, तरक्की की बात की, आर्थिक विकास की बात की। लेकिन असर हुवा उल्टा। सुनने वाले मले लोगों सत्ता सम्हाले लोगों को लगा अरे ये तो प्रधान मंत्री हो सकता है इस को हर संभव तरिके से रोको। ये देश मले का है चिनिया का नहीं। अगर चीन वास्तव में आजाद हुवा होता तो ली कुऑन यु को वो दिन देखने न पड़ते। जो देखना पड़ा। चीन के पास में छोटा सा देश। फिर भी कह रहा है चिनिया को दुसरे दर्जे का नागरिक बन के रहना होगा। ली कुऑन यु ने अपने इच्छा के विरुद्ध भरे दिल से देश तोड़ा। आज मलेशिया में प्रति व्यक्ति आय है ७५०० डॉलर और सिंगापुर में है ३८,००० डॉलर। सारे मलेशिया का प्रति व्यक्ति आय २५,००० डॉलर हो सकता था अभी। तो अपने self-interest के विरुद्ध मले शासको ने ली कुऑन यु को दफा किया। 

चिनिया को समानता का अनुभूति करने के लिए सिंगापुर को स्वतंत्र करना पड़ा। ली कुऑन यु ने जो काम किया वो देंग स्याओ पिंग ने देखा और उससे सिखा। और आज चीनको देखो। 

मधेस आर्थिक रूपसे भारत से आगे नहीं है, उदाहरण से सिखाने लायक नहीं है। (E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy) (आर्थिक क्रांतिका पाँच पाण्डव: सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, (उद्योगव्यापार) सुलभता) लेकिन भारत के जनता और नेता इस भ्रम में ना रहें कि ये मधेस का अपना अलग संघर्ष है। महात्मा गांधी की अधुरी लड़ाई मधेस लड़ रहा है। गांधी के काम को पुरा कर रहा है। भारत की भुमि तो आजाद  हो गयी १९४७ में लेकिन विश्व मंच पर अभी तक भारत को जो न्यायपूर्ण जगह मिलने चाहिए वो मिला नहीं। इसिलिए मधेसकी लड़ाई भारतकी लड़ाई है। भारतकी अपनी लड़ाई है। 

ली कुऑन यु का अनुभव मेरा खुद अपना अनुभव रहा है। नेपालका नंबर वन स्कुल बुढानीलकण्ठ स्कुल, अँग्रेजो ने बनाया गोरखा सैनिक सप्लाई करने वालों को धन्यवाद देने के लिए। देश भर entrance exam होते थे। तो दो और चुने जाओ। चुना गया। चार क्लास से पढाई शुरू। मैं क्लास में फर्स्ट। चार क्लास से १० तक लगातार। पढाई और लीडरशिप में क्लास में नंबर वन रहा। जैसे कि पाँच क्लास में हाउस कैप्टेन हुवा, १० में भी। मिडिल स्कुल में बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला एक। अमिताभ को भी मिला नैनीताल में मिडिल स्कुल में। मिडिल स्कुल में ही सारे स्कुल का मेन्टल अरिथमेटिक चैंपियन भी बना। स्टेज पर रख देते हैं। सारा स्कुल बैठा हुवा है। और question पर question कर रहे हैं। Arithmetic. राजा जनक के दरबार में भी शायद वैसा हुवा करता था। 

तो उस समय मेरे में कोई न मधेसी consciousness थी, न कोई भारतीय consciousness, यहाँ तक की कोई खास नेपाली consciousness भी नहीं। गांधी के बारे में बड़े चाव से पढता था। लेकिन था कि ये तो इतिहास है। जब समय बुरे थे। लेकिन वो बित गयी। बित गयी सो बात गयी। सिर्फ दिमाग के राजमार्ग पर मैं दौड़ रहा था। The mind is one with the universe, there is no self. शायद मैं बुद्धिस्ट उसी वक्त हो चुका था। शायद मैं पैदायशी बुद्धिस्ट हुँ। लेकिन औपचारिक रूप से हुवा अमरिका आने के बाद। क्रिस्चियन लोगो ने तंग किया। Save the soul, save the soul कर रहे थे। उनके कहने से पहले मेरे को बाइबल क्रिसमस सब मालुम था। लेकिन मैंने सोंचा मैं हिन्दु हुँ इसलिए कि मेरा हिन्दु परिवार में जन्म हुवा। अगर खुद मेरे को एक धर्म अपनाना पड़े तो वो धर्म क्या होगा? जवाब आजीवन सामने था। कभी मेरे को ये हिचक हुई ही नहीं थी कि बुद्ध के ज्ञान को अध्ययन करने के लिए कोई धर्म परिवर्तन करने की जरुरत है। लेकिन मैं उसके बाद अपने आपको बुद्धिस्ट कहने लगा। होली दिवाली ये सब कुछ छोड़ा नहीं। 

विक्रम संवत २०४२ को हर्क गुरुंग का रिपोर्ट आया जिसने मधेस आंदोलन की आधुनिक शुरुवात कर दी। उस रिपोर्ट के बारे में मेरे को आगे आठ साल मालुम नहीं हुवा। कहने वाले कहते हैं उस का कारक ही व्यक्तिगत मैं हुँ। २०४६ में मैं दशवी में गया। मेरे से दो साल सीनियर एक विश्व लिम्बु था, जनजाति, बाद में ऑक्सफ़ोर्ड गया, तीन साल जुनियर एक मधुसुदन सारडा, मारवाड़ी, बन्दा अभी दिल्ली में रहता है, उससे पहले MIT गया, तो हम तीन नेपाल के नंबर वन स्कुल में प्रत्येक साल अपने अपने क्लास में फर्स्ट होते थे। लेकिन तीनो में कोई भी बोर्ड फर्स्ट नहीं हुवा। नेपाल में १० वी में सारे देश के विद्यार्थी एक ही परीक्षा देते हैं। बोर्ड फर्स्ट का मतलब आप सारे देश में फर्स्ट हुवे। लेकिन विश्व और मधु सिर्फ पढाई में नंबर वन। उसी स्कुल से एक मधेसी मेरे से छे साल सीनियर बोर्ड फर्स्ट हुवा था। लेकिन वो हार्मलेस था। सिर्फ पढाई से मतलब। बोर्ड फर्स्ट हुवा, प्लान में गया, डाक्टर बना, किसी को दिक्कत नहीं की। किसीका पावर चैलेंज नहीं किया। पावर तो मैंने भी किसी का चैलेंज नहीं किया। मेरे को  १० क्लास में हाउस कैप्टेन बनाया। इतना अच्छा काम किया उस स्कुल के इतिहास में किसी हाउस कैप्टेन ने ना की। टीचर खुश के अलावे क्या हो सकते हैं?

विक्रम संवत २०४२ को मैं सिर्फ फर्स्ट नहीं हुवा। जितने विषय थे  सब के सब में क्लास में सबसे ज्यादा अंक। मधेसियो माफ़ करना। तभी कुछ पता ही ना चला।

Long story short, they destroyed the final three and a half years of my high school experience because I started looking too much like a future Prime Minister. पढाई १३ क्लास तक थी। कैंब्रिज का A Level

मेरा अभी मधेस आंदोलन में digital activism चल रहा है। लेकिन मेरे आगे का रास्ता है tech entrepreneurship के रास्ते का। मधेस भी भारत भी उस रास्ते पहुचेंगे। (नेपाल, बिहार र डिजिटल)

2016: The Year For Barack Obama's Revolution From The Top
साम्राज्यवादी: Political Equality For Indians Wherever They Might Be

प्रधान मंत्री चुनाव जितने के बाद मोदी ने कहा काश हमें मौका मिला होता आजादी आंदोलन के हिस्सा होने का। लो मिल गया। मधेस में जो हो रहा है वो आजादी आंदोलन ही है। गांधी का अधुरा काम हम मधेसी पुरा कर रहे हैं। आ जाओ।

न्यु यॉर्क में मैं ओबामा का पहला फुल टाइम वालंटियर। वो एक अलग कहानी है। 



Silicon Boomerang? Silicon Crescent?
Zuck, Free Basics, India (2)
Zuck, Free Basics, India
Android Phones Should Machine Record All Talk

Saturday, December 19, 2015

E for Education, E for Entrepreneurship, E for Energy


१९९० में भारत और चीन एक ही जगह थे प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से। बल्कि भारत थोड़ा आगे था। और भारत का रेल सब जगह था। चीन के पास न वैसा रेल न रोड। २०-२५ साल में देखो। चीन अमेरिका से बड़ा हो गया। हालांकि प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से चीन को अभी अमेरिका का हाथ पकड़ने में समय लगेगा। इसी लिए मैं कहता आया हुँ चीन को डबल डिजिट ग्रोथ का लक्ष्य कायम रखना चाहिए। तो चीन ने जो किया वो डबल डिजिट ग्रोथ रेट के बल पर किया। भारत १५% ग्रोथ रेट दे सके तो १५-२० साल में चीन अमेरिका दोनों का हाथ पकड़ ले।

Barack Obama: George Washington
आर्थिक क्रांतिका पाँच पाण्डव: सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, (उद्योगव्यापार) सुलभता
सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, बिजनेस के लिए आधार

अभी ग्लोबल वार्मिंग के बारे में ऐसे बात किया जा रहा है जैसे एक समय में Y2K के बारे में किया जाता था। नए मिलेनियम के शुरू होते ही सारे कम्प्यूटर काम करना बंद कर देंगे। इस के दो चार पक्ष हैं। एक, सही बात है कि कार्बन एमिशन इसी तरह होता रहा और दुनिया का तापक्रम औसत दो डिग्री और बढ़ गया तो विश्व का weather pattern कुछ इस किस्म से बदल सकता है कि मानव सभ्यता ही ख़त्म  जाए। यानि कि अणु युद्ध से भी बड़ा डिजास्टर।

तो पहला काम करो एक विश्व सरकार बनाओ। ये कोई एक सरकार तो कुछ कर सक्ने के स्थिति में है नहीं। दुसरा काम करो प्रत्येक देश अपने अपने डिफेंस बजेट का आधा आधा एक जगह लाओ और उससे क्लीन एनर्जी Research, Development, Production करो। मोदी ने एक कंपनी से बात किया है सोलर से १०० गीगावाट बिजली पैदा करने के लिए। १०० हो सकता है तो १,००० या १०,००० क्यों नहीं हो सकता? सब मिल के पूँजी लगाओ ताकि अमिताभ बच्चन का काला पत्थर मूवी बच्चे देखे तो अजीब लगे, कि अमिताभ इस मूवी में किस चीज की खोदाई कर रहे हैं?

दुसरा पक्ष है हवा का। किसी वैज्ञानिक कि जरुरत नहीं पड़ती। खुद मालुम हो जाता है हवा गन्दा है साँस लेने में दिक्कत हो रही है। भोजन से ज्यादा जरुरी पानी (मैं ये नहीं कह रहा आप खाना खाना बंद कर दो, अब पानी पी के ही काम चला लो) और पानी से ज्यादा जरुरी हवा। तो ऐसा विकास जो हवा को ही गन्दा कर दे वो विकास ही नहीं। आप को मोदी कहेंगे तुम्हारा साल का आम्दानी ३,००० डॉलर से ३०,००० कर देते हैं लेकिन कल से भोजन बंद, तो आप क्या कहेंगे? आइन्दा कभी वोट माँगने मत आना। न जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं। तो स्वच्छ हवा तो चाहिए।

तीसरा पक्ष है रेसिस्म का। जैसे प्रेत एक शरीर से दूसरे शरीर में चला जाता है तो कभी कभी लगता है कोलोनाइजेशन का प्रेत ब्रिटेन से अमेरिका चला गया, कुछ गोरे लोग हैं जो अमेरिका यूरोप जैसे देशों में सरकारी यंत्र में है, वो नहीं चाहते चीन और भारत आगे बढे। तुम लोग विकास मत करो, विकास करो तो दुनिया खत्म

India: Solar Is The Cure

तो भारत को आर्थिक विकास करना होगा। लेकिन जितना समय अमेरिका ने लिया, बेलायत ने लिया, या चीन ने लिया उससे कम समय में, और बगैर दुनिया के weather pattern को तहसनहस किए। यानि कि ग्रोथ रेट को १५% से उपर ले जाना और वहाँ पर लगातार ३० साल कायम रखना। तो उसके लिए कुछ ऐसे रास्ते ढुंढने होंगे जिस रास्ते से न ५% वाला बेलायत अमेरिका गए और न १०% वाला चीन।


नंबर एक बात है शिक्षा। चीन सिर्फ ये एक काम कर ले तो फिर से १०% पर शायद पहुँच जाए। कुछ पुराने विचार हैं शिक्षा के बारे में जिन्हे चैलेंज करना होगा।

एक विचार: सिर्फ बचपन में पढाई लिखाई शुरू की जा सकती है। आप का उम्र है २५ या ३५ या ४५ या ५५ और आप हैं जिसको नेपाली में कहते हैं कालो अक्षर भैंसी बराबर तो too late, ट्रेन छुट गयी। ये बहुत ही अवैज्ञानिक विचार है। शरीर में एक अंग है दिमाग जो अंतिम साँस तक दुरुस्त रहती है। बाँकी शरीर भी ठीक से रखो तो दुरुस्त ही रहती हैं। व्यायाम करते रहो तो शरीर ४० साल के उम्र में वही शरीर ८० साल के उम्र में। तो लोग व्यायाम नहीं करते हैं, टीवी देखते हैं। ये Lifelong Education का जमाना है। यानि कि आप पढाई किसी भी उम्र में शुरू कर सकते हैं, और आप को जिंदगी भर करते रहना है। दुसरा विचार: पढाई होता है स्कुल में। यानि की बिल्डिंग। एक घर। जरुरी नहीं। तीसरा विचार: शिक्षक चाहिए। जरुरी नहीं। Per Cubic Millimeter brain matter में आप कितना knowledge कोच कोच के भर सकते हैं? FM Technology और Universal Wireless Broadband के आधार पर भारत के भूभाग के प्रत्येक इंच में स्कुल और कॉलेज बनाए जा सकते हैं।

नंबर एक कुरा शिक्षा हो


नंबर दो बात है Entrepreneurship ---- शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का इमेज रहा है। एक विरासत है। बिजनेस व्यापार में वैसा इमेज बनाए हैं गुजराती। कहने को कहा जाता है देखो भारतीय सब जगह पहुंचे हैं, अफ्रिका से अमेरिका सब जगह। लेकिन वो अधिकांश गुजराती पहुंचे हैं। बिजनेस करते करते। यानि कि विश्व शांति में Entrepreneurship की अहं भुमिका हो सकती है। दो देश ढेर सारा व्यापार कर रहे हैं तो वो शायद युद्ध नहीं करेंगे। इस क्षेत्र में भी कुछ विचारों को चैलेंज करना होगा। एक विचार: बैंक का बिल्डिंग होता है। कोई जरुरी नहीं। दुसरा विचार: सिर्फ पैसे वाले या जिनके पास जमीन हो वो बिजनेस शुरू कर सकते हैं। यानि कि लोन के लिए कोलैटरल चाहिए। कोई जरुरी नहीं। तीसरा विचार: Ecommerce के लिए न कंप्यूटर तो कमसेकम स्मार्टफोन न स्मार्टफोन तो कमसेकम एक मोबाइल फ़ोन चाहिए। कोई जरुरी नहीं। चौथा विचार: देश में, समाज में, राज्य में पूँजी की कमी है। गलत। पैसा १००% डिजिटल हो तो कमाल हो जाती है। कागज का नोट हो तो वो या आपके पास है या मेरे पास। आप के पास है तो मेरे पास नहीं। मेरे पास है तो आपके पास नहीं। लेकिन पैसा डिजिटल हो तो वैसा नहीं होता। वही दश का नोट लगभग एक साथ हजार आदमी के हाथ में हो सकता है। Not at the exact same time, but almost at the same time.



नंबर तीन बात है Energy. जमीन पर न्युक्लीअर पावर प्लांट लगाने की कोई जरुरत नहीं। भगवान ने आकाश में एक लगा दिया है, वो sufficient है। इस गोटी को भारत ठीक से खेले तो १५ क्या २० भी कर ले। राजस्थान एक अपने ही स्टाइल का सऊदी अरब है।

India: Solar Is The Cure


तो ये बात मिथिला में बहुत पहले से मालुम है।


Wednesday, November 25, 2015

सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, बिजनेस के लिए आधार


  • लॉ एंड आर्डर 
  • शिक्षा 
  • स्वास्थ्य 
  • Infrastructure
  • Ease Of Doing Business 
विकसित देश बनना है तो क्रांतिकारी रफ्तार पर इन पाँचो पर काम करना होगा। हर संभव प्रयास करना होगा। 
  • Law And Order
नीतिश ने बिहार में २००५ के बाद बहुत अच्छा  काम किया है। उनसे सिखा जा सकता है। फ़ास्ट ट्रैक अदालत का व्यवस्था किया। मधेस में तो समस्या है उपनिवेशी पुलिस है आए बात नस्लवादी गाली गलौज पर उतर जाती है। बेरहम पिटाई करने लगती है। समुदाय का पुलिस के प्रति गहरा विश्वास ना हो तो लॉ एंड आर्डर दिवा स्वप्न है। प्रदेश का अपना प्रहरी होना जरुरी है। 
  • शिक्षा 
हाई स्कुल के १२ क्लास तक का पाठ्य सामग्री लोगों का FM रेडियो सेट के माध्यम से २४/७ मिलना चाहिए। अपनी मातृभाषा में। और उसी अनुसार की पाठ्य सामग्री होनी चाहिए। जो कि वो अपने गाओं के स्कुल में जा के मुफ्त में ले सके। और उसी स्कुल में उसको क्लास अटेंड करने का सुविधा होना चाहिए। सभी उम्र के लोगों को स्कुल जाना है। शरीर में सिर्फ दिमाग एक ऐसा अंग है जो जिंदगी भर लगभग फुल स्पीड में चलती रहती है। आँख कान थोड़ा धीमा पड़ जाए लेकिन दिमाग चलती रहती है। ये lifelong education का जमाना है। जिंदगी भर सबके सब पढ़ते रहो। Universal high school education तक पहुँचने का सबसे तेज रास्ता क्या है? उतना कर लो तो विकसित देश बन गए। 
  • स्वास्थ्य 
हर गाओं में स्कुल हो। हर स्कुल में लंच प्रोग्राम हो सरकार के तरफ से। किसी भी परिवार का बच्चा हो उसको कमसेकम दिनके एक वक्त पौष्टिक आहार मिलना चाहिए सरकार के तरफ से। शरीर और दिमाग का विकास नहीं हुवा तो यंग कंट्री होने का क्या फायदा? डेमोग्राफिक डिविडेंड को बेकार मत जाने दिजिए। उसी स्कुल भवन में शाम को प्रौढ़ शिक्षा। और शाम का खाना। स्कुल आनेवाला बच्चा हो या प्रौढ़, एक बार संतुलित आहार हो जाए। गुरुद्वारा में मैंने बहुतो बार खाना खाया है। सामुदायिक भोजन अच्छी बात है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में फिडेल कास्ट्रो ने अच्छा काम किया। केरल में भी अच्छा काम किया कम्निष्ट लोगो ने। स्वास्थ्य सेवक को ट्रेनिंग दे के गाओं गाओं पहुँचाना। योग को popularize करो। स्वास्थ्य खर्च कम पडेंगे। 
  • Infrastructure
प्रत्येक मधेसी के मुँह पर लटका हुवा रहता है: हुलाकी राजमार्ग। एक पुर्व पश्चिम रेल भी हो जाए मध्य तराई से। ल्हासा से लुम्बिनी भी। काठमाण्डु तराई फ़ास्ट ट्रैक। निजगढ़ अन्तर्राष्ट्रिय विमानस्थल। एक महानगर जो कि एक पुरे जिले को ढके। लेकिन आज के समय में infrastructure का नंबर एक पक्ष है इंटरनेट। हवा में सिग्नल है कि नहीं? टेलीविज़न का जो स्पेक्ट्रम है उसी स्पेक्ट्रम पर इंटरनेट प्रसारित किया जाए तो सबसे बेहतर है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे कंपनी से सीधा बात किया जा सकता है। शायद मुफ्त में ही कर दे। अगर आप के पास इंटरनेट है तो समझो कॉलेज पहुँच गए। सिर्फ पालिसी environment ठीक कर लो तो पूँजी विश्व बाजार से ही आ जाती है। शिक्षा के क्षेत्र में जो इंटरनेट है संरचना के क्षेत्र में वो चीज है इंधन: energy. सौर्य उर्जा का समय आ गया लगता है। 
  • Ease Of Doing Business  
ये गुजरात में मोदीका बलवान पक्ष रहा है। लोगों को पास रोजगार होना चाहिए। लोगों को काम मिलना चाहिए। देश के पास टैक्स बेस होना चाहिए। ये सब तो बिजनेस सेक्टर में ही होता है। सिर्फ पालिसी environment ठीक कर लो तो पूँजी विश्व बाजार से ही आ जाती है। पूँजी की कमी नहीं है।  



Barack Obama: George Washington
आर्थिक क्रांतिका पाँच पाण्डव: सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरचना, (उद्योगव्यापार) सुलभता

Monday, November 23, 2015

मधेस अलग देश के कुछ व्यावहारिक पक्ष

  • घोषणा कौन करेगा? सीके राउत। 
  • घोषणा कहाँ होगा? वीरगंज में, जो मधेसकी राजधानी बनेगी। 
  • घोषणा कब होगा? नए साल को करते तो बहुत अच्छा रहता। मधेस स्वराज पार्टी का संगठन विस्तार किजिए, सदस्य संख्या पाँच लाख करिए। बस उतना काफी है। 
  • मधेस की सीमा क्या होगी? मधेस भुगोल है। मधेस की साबिक ऐतिहासिक सीमा ही मधेस नए देश की सीमा होगी। समथर भुमि वाले २२ जिले तो रहेंगे ही भित्री मधेस के भी बहुत बस्तियाँ हैं जिन्हे समेटना होगा जहाँ थारु रहते हैं। 
  • सीमा सुरक्षा कौन करेगा? हम भुटान के तरह भारत से एक सुरक्षा संधि करेंगे। मधेस अलग देश की घोषणा होने से पहले ही गृह कार्य हो चुकी होगी। मधेस की उत्तरी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेवारी भारतीय सेना की होगी। 
  • क्या मधेस की भुमि बिहार और उत्तर प्रदेश में मिला दी जाएगी? नहीं। मधेस अलग देश बनने जा रहा है। लेकिन भारत के साथ मौद्रिक एकीकरण करेंगे जन्म के वक्त ही। फ्रांस में और पोलैंड में दोनों देशों में युरो चलती है। उसी तरह। 
  • उपनिवेशी सेना और प्रहरी का क्या होगा? भारत के साथ सुरक्षा संधि के बाद मधेस की उत्तरी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेवारी निभाने भारतीय सेना आएगी। २५-३० किलोमीटर का रास्ता है, दो घंटे का सफर भी नहीं। उपनिवेशी सेना और प्रहरी को कहा जायेगा पहले अपने अपने बैरक में वापस जाओ, और तुम सबको बाइज्जत शांतिपूर्वक, सम्मानजनक ढंग से वापस तुम्हें तुम्हारे देश वापस जाने दिया जाएगा। कोइ हिंसा नहीं, कोइ मारधाड़ नहीं। कोई ड्रामा नहीं। 
  • मधेस अलग देश में फिर लॉ एंड आर्डर कौन देखेगा? सीके राउत के नेतृत्व में जो अंतरिम सरकार बनेगी उस सरकार की जिम्मेवारी बनेगी कि वो एक नयी मधेस प्रहरी खड़ा करे। मधेस के प्रत्येक प्रमुख शहर में भर्ती केंद्र होगा। प्रहरी सेवा प्रवेश के उच्चतम मान्यताओं के तहत भर्ना किया जायेगा। १०-२० हजार प्रहरी से शुरू करेंगे। दो तीन हप्ते के संक्रमण काल में मधेस स्वराज पार्टी के वार्ड कमिटी के सदस्य लोग अपने अपने इलाके में गश्ती देंगे और शांति बनाये रखेंगे। 
  • मधेस की अपनी सेना रहेगी? नहीं। उस पैसे से स्कुल अस्पताल बनाएंगे। 
  • नेपाल देश के साथ क्या सम्बन्ध होगा? राजदुत आदान प्रदान होते ही सम्पुर्ण नाकाबंदी समाप्त। मधेस देश दुनिया भर के मधेसीयों के लिए द्वैध नागरिकता का व्यवस्था करेगी। वैसे मधेसी चाहे नेपाल में हो चाहे भारत में चाहे दुनिया के किसी देश में, अमेरिका इंग्लैंड जापान ऑस्ट्रेलिया अफ्रीका जहाँ कहीं हो। Once a Madhesi always a Madhesi. यानि की अगर कोई मधेसी जैसे काठमाण्डु में है जमीन जायदाद है नागरिकता है तो रखे रहो। लेकिन मधेस की नागरिकता भी वो ले सकते हैं। 
  • मधेस भारत बॉर्डर का क्या होगा? जितना खुला है उससे भी और खुला करेंगे। हमारा लक्ष्य है २२ वीं शताब्दी तक में दुनिया का प्रत्येक बॉर्डर मधेस भारत के जैसा हो जाए। दुनिया हम से सिखे। 
  • नागरिकता विहीन मधेसीयों का क्या होगा? एक भी बगैर नागरिकता पत्र के नहीं रहेगा। एक एक को नागरिकता पत्र वितरण करने से पहले देश में कोइ चुनाव ही नहीं होगा। ५० लाख से उपर की संख्या में हैं वो। मधेस की जनसंख्या दो करोड़ होगी वैसा मेरा अनुमान है। 
  • बिजली कहाँ से आएगी? अभी कहाँ से आती है? घटबढ़ होगी तो नीतिश से बात करेंगे। बरौनी प्लांट से आएगी। लेकिन वो तो शार्ट टर्म बात हुवी। जिस कंपनी के साथ मोदी ने भारत में १०० गीगावाट बिजली सौर्य ऊर्जा से पैदा करने की समझदारी की है उसी कंपनी से हम भी बात करेंगे, एक गीगावाट मधेस में भी पैदा करेंगे। जो खपत नहीं होगी वो बिहार और युपी को बेचेंगे। दिनमें दिवाली रात में दिवाली, सब तरफ जगमग जगमग। (India: Solar Is The Cure
  • मधेस में कितने राज्य रहेंगे? अंतरिम संविधान में सात: कोचिला, मिथिला, भोजपुरा, चितवन, अवध, थरुहट, कैलाली। 
  • जिला? केंद्र प्रदेश और स्थानीय सरकार रहेंगे। जिले दुसरे फेज में गायब। प्रहरी प्रत्येक प्रदेश की अपनी होगी। 
  • सरकारी कामकाजकी भाषा क्या होगी? हिंदी। हमारा लक्ष्य है हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ का छठा भाषा बनाना। 
  • नागरिकता कितने वैरायटी (variety) के होंगे? लोकतान्त्रिक देशो में नागरिकता सिर्फ एक किस्म की होती है। सब नागरिक बराबर होते हैं। 
  • शहीद के परिवारों का क्या? उनको दो फेज कर के एक करोड़ दिया जाएगा। पहले साल साबिक घोषणा तहत ५० लाख। उसके बाद १० साल बाद दुसरा ५० लाख। 



मधेसी: तीनबाहुनदलवादी, संघीयतावादी, स्वराजी, साम्राज्यवादी
मधेसी: तीनबाहुनदलवादी, संघीयतावादी र स्वराजी
नेपालमा आर्थिक क्रांति को ५ सुत्र
नंबर एक कुरा शिक्षा हो
Megacity

मधेस अलग देश के घोषणा तक का रास्ता

सबसे अच्छा रास्ता है सीके राउत के नेतृत्व में एक मधेस स्वराज पार्टी का ऐलान हो और उसका मधेस के प्रत्येक वार्ड में दैनिक वार्ड सभा करते हुवे संगठन विस्तार किया जाए। दैनिक पार्टी का सदस्य संख्या घोषणा करें। मोबाइल फ़ोन का जमाना है। संपर्क कठिन नहीं। पार्टी सदस्य संख्या ५ लाख कटते ही हम मधेस अलग देश घोषणा करने के काबिल हो जाएंगे। ऐलान वीरगंज में सीके राउत करेंगे। उनके नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनेगी जिसका जिम्मेवारी होगा एक साल के अंदर एक संविधान सभा का चुनाव करें और उसके एक साल के अंदर देश को एक संविधान दें।

मधेस अलग देश के घोषणा तक का रास्ता मधेसी जनता के मध्य से जाती है, किसी मधेसी नेता की अनुमति की जरुरत ही नहीं। उपनिवेशी नेपाल राज्य के अंतर्गत रह के जो लोग मधेस स्वाभिमान को ढुंढते रहे हैं उन्हें बोलो ताप्लेजुंग जा के जमीन खोद के पेट्रोल भी ढूँढ लें। लेकिन संविधान सभा के चुनाव में उन सब को सहभागी होने का अधिकार रहेगा। लोकतान्त्रिक देश बनने जा रहा है।


मधेस स्वतंत्रता उद्घोष (Madhes Declaration Of Independence)

(ये सिर्फ एक ड्राफ्ट है। आप लोग व्यापक छलफल के आधार पर इसको परिमार्जित करते जाएँ।)

बुद्ध की भुमि मधेस जिसने दुनिया को पहला गणतंत्र दिया, आज वही भुमि एक उपनिवेश बन के रह गया है, लोकतान्त्रिक मुल्य और मान्यताओं का मोहताज हो गया है। उस गुलामी की जंजीर को तोड्ने का एक मात्र विकल्प मधेस स्वराज के रास्ते को मानते हुवे हम दुनिया की लम्बी क्रांतियों में गिनती होने वाली क्रांतियों में से एक की पृष्ठभूमि पर खड़े हो के मधेस अलग देश की घोषणा करते हैं। उपनिवेशी सैनिक और प्रहरी की ज्यादती से आजित हो कर, मधेसीयों की आए दिन आहुति से व्यग्र होकर हमें ये ऐलान करना पड़ रहा है। दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी व्यक्ति या समुदाय को ये अधिकार जन्म से ही प्राप्त है कि वो एक ऐसे देश में रहे जहाँ उसकी राजनीतिक अधिकारों की आधारभूत गारंटी हो। वैसा एक देश मधेस बनने जा रहा है। शोषण की संरचना को सदा सदा के लिए ध्वस्त करते हुवे हम मधेस के साबिक भूभाग पर बसे सभी समुदाय के लोगों को समेटते हुवे मधेस देशका ऐलान करते हैं। हम चाहते हैं ये देश लोकतंत्र, मानव अधिकार और समृद्धि का सारी दुनिया में एक मिशाल बनें। और हम दुनिया के सारे देशों से और संयुक्त राष्ट्र संघ से अनुरोध करते हैं कि वो हमें जल्द से जल्द मान्यता प्रदान करें।

(मधेस स्वतंत्रता उद्घोष स्वाभाविक है सीके राउत करेंगे।)


मधेस स्वराज का समय अब आ गया है

Sunday, November 22, 2015

मधेस स्वराज का समय अब आ गया है

बहुत दी क्रांतिकारियों ने आहुती। अब और नहीं। बस। सब्र टुट चुका है। प्रवास में भी खस समुदाय में नस्लवादी सोंच पराकाष्टा पे है। ध्रुवीकरण पुर्ण हो गयी। नेपाल के भितर मधेसी के लिए समानता संभव नहीं है। वो तो बराबर बोली और गोली से वही तो कहते आ रहे हैं। हमें उनकी बात को सुन लेनी चाहिए। नेपाल में रहना है तो दुसरे दर्जे का नागरिक बन के रहो। वो उनके तरफ  बात है। तो हमारे तरफ से भी फाइनल बात है। मधेस अलग देश बनेगी। बहुत जमीन और जनसंख्या है हमारे पास। दुनिया के बड़े देशों में से एक रहेंगे। समृद्ध बनेंगे।

स्वाभाविक है ये बात सी के राउत नेतृत्व मैं आगे बढ़ेगी। मधेस अलग देश के विचार के वो प्रणेता रहे हैं। संगठन भी काफी अच्छी बना ली है। अब गाओं गाओं, गली गली, कस्बे कस्बे में, शहर शहर में, प्रत्येक बाजार में, कोने कोने पर मधेस अलग देश का नारा लगाओ। अपना झंडा फहराओ। गुलामी मुर्दाबाद। मधेस देश ज़िंदाबाद।

जिन नेता और पार्टीयो को आना होगा आएंगे, नहीं आना होगा नहीं आएंगे। कुछ अभी आएंगे, कुछ संविधान सभा के चुनाव के वक्त आएंगे। सब चलता है। मुख्य बात है जनता कहाँ है। संगठन निर्माण करो। मधेस स्वराज पार्टी बनेगी अब।

अलग देश घोषणा करने का गृहकार्य शुरू कर दो। एक टोली दिल्ली जाएगी। भारत के साथ मौद्रिक एकीकरण करेंगे, और लगभग तुरंत आर्थिक एकीकरण भी। यूरोपियन यूनियन में जैसा होता है। भुटान के जैसे सुरक्षा संधि करेंगे भारत से।
मधेस भुगोल है। मधेस का सीमाना उसी मुताबिक होगा। उत्तरी सीमाना क्लेम और सुरक्षा की जिम्मेवारी भारतीय सेना की रहेगी।

राजधानी स्वाभाविक है वीरगंज में रहेगी। सब लोग वहां इकठ्ठा होना शुरू कर दिजिए।

मधेस अलग देश का घोषणा की तयारी शुरू की जाए। बहुत कर ली हमने गुलामी। बहुत प्रयास किया हमने नेपाल के भितर समानता पाने की।








बाबुराम आफै मितेरी पुलमा छन
सप्तरी मा गरिएको युद्ध घोषणा एउटा निर्णायक मोड़ हो
क्रांति को माग पुरा गर, फ़ासिस्ट धम्की दिएर आफ्नो नाङ्गो चरित्र अझ नाङ्गो नपार
मधेस सरकारको अंतरिम संविधान
नेपालभित्र समानता को संभावना देखिएन, मधेस अलग देश बन्छ अब
१०० डिग्री फ्यारेनहाइट
मधेस अलग देश: अब एक मात्र गोल, एक मात्र लक्ष्य
अहिंसात्मक क्रांति नै हुन लागेको हो
मधेसी क्रांति को कार्यतालिका